वात दोष (Vata Dosha) – वात दोष के कारण, लक्षण

वात की व्युत्पत्ति (Derivation of Vata) :- वा धातु + क्त प्रत्यय लगने से वात शब्द बना है। वात निरुक्ति (Etymology of term Vata) :- वात या वायु शब्द वा गति गन्धनयोः धातु से बनता है। वात का अर्थ गति होता है। गति के तीन अर्थ ज्ञान, गमन, चेष्टा या प्राप्ति है। शरीर में गति, … Read more

धातु (Dhatu in Ayurveda) – धातु पोषण न्याय

धातु (Dhatu in Ayurveda) - धातु पोषण न्याय

सजीव एवं निर्जीव सृष्टि का निर्माण प्रकृति में पाये जाने वाले तत्व (Elements) के द्वारा होता है, इन्हीं तत्वों के संयोग से मानव शरीर का निर्माण होता है। इन तत्वों के द्वारा शरीर की कोशिकाओं का निर्माण होता है एवं कोशिकाओं (Cells) से ऊतकों (Tissue), ऊतकों से अन्न (Organs) एवं अन से संस्थान (Systems) एवं … Read more

रस धातु (Rasa Dhatu) – कार्य, रस क्षय, रस वृद्धि के लक्षण

रस धातु (Rasa Dhatu) - कार्य, रस क्षय, रस वृद्धि के लक्षण

व्युत्पत्ति एवं निरुक्ति :- रस गतौ धातु से रस शब्द बना है जिसका तात्पर्य है जो निरंतर गतिशील रहे, उसे रस कहते हैं। तत्र रस गतौ धातुः अहरहर्गच्छतीत्यतो रसः। (सु. सू. 14/113) अर्थात् रस गतौ धातु से रस धातु बना है जिसका तात्पर्य जो निरन्तर (रात्रि-दिन में) गतिशील रहे उसे रस कहते हैं। रस शब्द … Read more

रक्त धातु (Rakta Dhatu) – कार्य, रक्त क्षय, रक्त वृद्धि के लक्षण

रक्त धातु (Rakta Dhatu) - कार्य, रक्त क्षय, रक्त वृद्धि के लक्षण

पर्याय – असृक्, रुधिर, शोणित, खून, लहू रक्त धातु की उत्पत्ति :- रस को धातुओं का मूल एवं रक्त को शरीर का मूल माना है, क्योंकि जीवन रक्त के अधीन होता है। समस्त धातुओं की उत्पत्ति का कारण अन्नरस एवं रस धातु होते हैं। रसाद्रक्तं ततो मांस मांसान्मेद प्रजायते।मेदोऽस्थि ततो मज्जः शुक्रं तु जायते॥ (सु. … Read more

मांस धातु (Mansa Dhatu) – कार्य, मांस क्षय, मांस वृद्धि के लक्षण

मांस धातु (Mansa Dhatu) - कार्य, मांस क्षय, मांस वृद्धि के लक्षण

मांस की व्युत्पत्ति :- मांस शब्द माङ् धातु से बना है जिसका अर्थ है जिसे नापा जा सके। मांस के पर्याय :- पललम्, पिशित, क्रव्य आदि। मांस धातु की उत्पत्ति :- मांसवह स्रोतस् में मांस सधर्मी अंश पर मांसाग्नि की क्रिया के पश्चात् मांस धातु का निर्माण एवं पोषण होता है। मांस सधर्मी अंश – … Read more

मेद धातु (Meda Dhatu) – कार्य, मेद क्षय, मेद वृद्धि के लक्षण

मेद धातु (Meda Dhatu) - कार्य, मेद क्षय, मेद वृद्धि के लक्षण

मेद धातु चौथी धातु होती है। यह Adipose Tissue के रूप में शरीर में पायी जाती है। यह त्वचा के नीचे उदर (Abdomen), अस्थि, वपावहन (Omentum) एवं दूसरे Fat depot में पायी जाती है। मेद शरीर का वह स्नेहांश है जिसे आहार द्वारा सेवन नहीं किया जाता है क्योंकि यह शरीर के अनेक स्नेहों से … Read more

Stomach – Anatomy, Physiology, Function, Diagram, Structure

Stomach - Anatomy, Physiology, Function, Diagram, Structure

The stomach is also called the gaster (Greek belly) or venter from which we have the adjective gastric applied to structures related to the organ (Fig. 19.1). Introduction The stomach is a muscular bag forming the widest and most distensible part of the digestive tube. It is connected above to the lower end of the … Read more

शुक्र धातु (Shukra Dhatu) – कार्य, शुक्र क्षय, शुक्र वृद्धि के लक्षण

शुक्र धातु (Shukra Dhatu) - कार्य, शुक्र क्षय, शुक्र वृद्धि के लक्षण

शुक्लयति त्यजति । शुक्लः रजतं शुक्लम् वीर्यम् । शुक्र शब्द शुच धातु जो कि शुद्धता के अर्थ में प्रयुक्त है। उसमें रक् प्रत्यय लगने से बनता है जिसका अर्थ बिल्कुल शुद्ध, निर्मल या स्वच्छ हो वह शुक्र कहा जाता है। र एवं ल अक्षरों में संस्कृत भाषा में भेद नहीं माना है। स्थान पर शुक्ल … Read more

मज्जा धातु (Majja Dhatu) – कार्य, मज्जा क्षय, मज्जा वृद्धि के लक्षण

मज्जा धातु (Majja Dhatu) - कार्य, मज्जा क्षय, मज्जा वृद्धि के लक्षण

अस्थियों के मध्य में जो खोखला भाग (Marrow cavity) होती है। उसमें मज्जा धातु होती है। करोति तत्र सौषिर्य अस्थ्नांम मध्ये समीरणः ।मेदस: तानि पूर्यन्ते स्नेहो मज्जा ततः स्मृतः।। (च. चि. 15/31-32) वायु के द्वारा अस्थियों के मध्य में खोखला (Marrow cavity) का निर्माण होता है। उसी Cavity में जो स्नेह भाग भरा रहता है, … Read more

अस्थि धातु (Asthi Dhatu) – कार्य, अस्थिक्षय, अस्थि वृद्धि के लक्षण

अस्थि धातु (Asthi Dhatu) - कार्य, अस्थिक्षय, अस्थि वृद्धि के लक्षण

अस्थि धातु विशेष रूप से अस्थियों एवं दांतों (Teeth) में पायी जाती है। यह शरीर में सबसे अधिक कठिन धातु है। अस्थि धातु को पार्थिव माना है। अस्थियाँ शरीर का धारण एवं महत्त्वपूर्ण अंग मस्तिष्क (Brain), सुषुम्ना (Spinal cord), हृदय (Heart), फुफ्फुस (Lungs) आदि अंगों की बाहरी आघात से बचाने का कार्य करती है। अस्थि … Read more